Ambedkar का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रांत (आधुनिक मध्य प्रदेश) के महू में सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई सकपाल के घर हुआ था। परिवार का पैतृक स्थान Maharashtra के रत्नागिरी जिले के अंबाडाबे शहर में था।
Early Life
अंबेडकर महार जाति से थे जिसे उस समय ‘अछूत’ माना जाता था। स्कूल में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें कक्षा के अंदर बैठने की अनुमति नहीं थी और उन्हें एक बोरी पर बैठना पड़ता था जिसे उन्हें कक्षा के बाद घर ले जाना पड़ता था। वह अपनी प्यास तभी बुझा सकते थे जब कोई दूसरा व्यक्ति ऊंचाई से पानी डालता था क्योंकि उन्हें पानी में बर्तन को छूने की अनुमति नहीं थी।
1897 में उनका परिवार मुंबई चला गया और अंबेडकर को एलफिंस्टन हाई स्कूल में दाखिला दिलाया गया और वे वहाँ एकमात्र दलित बन गए।
1907 में वे स्कूल से मैट्रिक पास करने वाले पहले अछूत बने और उन्हें एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला मिला। वे एक बेहतरीन छात्र थे और उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की उन्होंने बड़ौदा राज्य के लिए काम करना शुरू किया।
Abroad
बड़ौदा राज्य छात्रवृत्ति से वित्त पोषित, 22 साल के Ambedkar अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कोलंबिया विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए चले गए।
उन्होंने अर्थशास्त्र में MA की डिग्री प्राप्त की और दो शोध पत्र प्रस्तुत किये, ‘प्राचीन भारतीय वाणिज्य’ और भारत का राष्ट्रीय लाभांश – एक ऐतिहासिक और विश्लेष्णात्मक अध्ययन। 1927 में उन्होंने अपने तीसरे शोध-पत्र के लिए अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने मई 1916 में न्यूयॉर्क में अलेक्जेंडर गोल्डनवाइजर द्वारा आयोजित मानवशास्त्रीय सेमिनार में अपना शोध-पत्र भारत में जातियाँ: उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास’ प्रस्तुत किया।
इसके बाद वे लंदन चले गए जहां उन्होंने कानून और अर्थशास्त्र दोनों की पढ़ाई की। लेकिन उन्हें अपना कोर्स पूरा किए बिना ही भारत लौटना पड़ा क्योंकि उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी।
बाद में वे अपनी थीसिस पूरी करने के लिए लंदन लौट आए जिसका शीर्षक था ‘रुपए की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान’। उन्होंने अर्थशास्त्र में डीएससी की डिग्री पूरी की और 1923 में उन्हें बार में स्थान मिला।
उन्होंने बड़ौदा राज्य के लिए काम किया क्योंकि उनकी शिक्षा राज्य द्वारा प्रायोजित थी। कुछ समय तक काम करने के बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी इसके बाद उन्होंने अकाउंटेंट, Tutor के तौर पर काम किया और निवेश परामर्श व्यवसाय भी शुरू किया, लेकिन जैसे ही ग्राहकों को पता चला कि वे अछूत हैं, यह असफल हो गया।
1918 में वे मुंबई के सिडैनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए।
Ambedkar किसी भी प्रकार के जाति-आधारित भेदभाव के विरोधी थे और उन्होंने आर्यन आक्रमण सिद्धांत को भी खारिज कर दिया था।
Dalit Rights
वह दलित समुदाय के नेता बन गए और उनके सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए लड़े।
उन्होंने दलितों एवं वंचित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचित का मॉडल और आरक्षण बनाने की पुरजोर वकालत की।
उन्होंने अछूतों के उत्थान के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। उन्होंने मूकनायक,समानता जनता और बहिष्कृत भारत जैसी पत्रिकाएं भी शुरू कीं। जिनमें उन्होंने दलित अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ भी कई आंदोलन चलाए। उन्होंने अछूतों के लिए सार्वजनिक पेयजल संसाधन खोलने के लिए मार्च और आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने दलितों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए भी आंदोलन शुरू किया।अंबेडकर ने सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म ग्रंथो की निंदा भी की, जिनके बारे में माना जाता था कि वह जाति आधारित भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
Politics
अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ ऐतिहासिक पूना समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत वे इस बात पर सहमत हुए की दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचिका कैसे बनाई जाए।
उन्होंने 1936 में एक राजनीतिक पार्टी, इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की। इसने 1937 में सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली के लिए चुनाव लड़ा और सीटें जीतीं।
अपनी किताब ‘The Annihilation of Cast’ में अंबेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसमें गांधी को भी फटकार लगाई है।
उन्होंने वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में भी काम किया था।
उनकी पार्टी अनुसूचित जाति महासंघ में तब्दील हो गई। आजादी के बाद Ambedkar को Congress के नेतृत्व वाली सरकार ने देश का पहला कानून मंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया। उन्हें संविधान सभा की मसौदा समिति का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया,जिसका कार्य भारत के लिए एक नया संविधान तैयार करना था। अंबेडकर सिविल सेवा, स्कूल और कॉलेज में नौकरियों में आरक्षण के लिए विधानसभा का समर्थन जीतने में सफल रहे।
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1955 में अंबेडकर ने भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की। 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने नागपुर में एक सार्वजनिक समारोह में बौद्ध धर्म अपना लिया। इसके बाद बड़े पैमाने पर दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया।
Baba Sahab Ambedkar, जो 1948 से डायबिटीज पेशेंट थे, 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में नींद में ही उनका देहांत हो गया। उनके अंतिम संस्कार में लगभग 5 लाख लोग शामिल हुए।
अंबेडकर की कुछ कृतियां :
जाति का विनाश
शूद्र कौन थे?
वीजा का इंतजार
बुद्ध और उनका धर्म
पाकिस्तान या भारत का विभाजन
बुद्ध या कार्ल मार्क्स
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