Suzuki ने जब भारत में कदम रखा तब भारतीय बाजार में कोई बड़ा ब्रांड रिस्क नहीं लेना चाहता था। महज ४०००० यूनिट से हुई थी शुरुआत।
Osamu Suzuki, एक ऐसा नाम जिसने दुनिया की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को नई दिशा दी। 1930 में जन्मे सुजुकी ने 1958 में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन में कदम रखा और 1978 में इसके अध्यक्ष बने। उनके 40 साल के नेतृत्व में कंपनी ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। इनमें सबसे बड़ा कदम था 1982 में भारत सरकार के साथ साझेदारी कर मारुति सुजुकी की शुरुआत की। इस साझेदारी ने भारत में ऑटोमोबाइल क्रांति ला दी, आम लोगों के लिए कारों को सुलभ बनाया और देश की परिवहन व्यवस्था को बदल दिया।
उनका योगदान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। बल्कि उनके नेतृत्व में सुजुकी ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई, भरोसेमंद, किफायती और इनोवेटिव गाड़ियों के लिए मशहूर हुआ। ओसामु सुजुकी अपनी सरलता और तेज़ सोच के लिए जाने जाते थे। वे हमेशा रिश्तों को मजबूत करने, बदलते बाजार के हिसाब से खुद को ढालने और ग्राहकों की जरूरतों को प्राथमिकता देने में विश्वास रखते थे।
Osamu Suzuki केवल एक ऑटोमोबाइल नेता नहीं थे, बल्कि बदलाव और प्रेरणा के प्रतीक थे। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ निश्चय और सही सोच से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनका नेतृत्व आज भी उद्योगों के लिए एक प्रेरणा है और यह दिखाता है कि नई सोच और मेहनत से सब कुछ संभव है।
Ratan Tata – The Icon, the Titan का 86 की उम्र में निधन
Osamu Suzuki का निधन एक युग की समाप्ति का प्रतीक है। उन्होंने अपने नेतृत्व में सुजुकी को एक वैश्विक ब्रांड बनाया और भारतीय बाजार में कंपनी की सफलता के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मारुति सुजुकी के माध्यम से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा। उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और नवाचार के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।