
अब तक, ₹100 करोड़ से कम टर्नओवर वाले व्यवसायों को 30-दिन की समयसीमा का पालन करने की जरूरत नहीं थी।
1 अप्रैल 2025 से जीएसटी (GST) invoice से जुड़े नए नियम लागू होने जा रहे हैं, जिससे टैक्स अनुपालन (Tax Compliance) और रिपोर्टिंग को सख्त किया जाएगा। इन बदलावों के तहत, ₹10 करोड़ या उससे अधिक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों को ई-इनवॉइस (e-Invoice) अपलोड करने के लिए 30 दिनों की समयसीमा का पालन करना अनिवार्य होगा।
क्या बदलाव हो रहे हैं?
अब जिन व्यवसायों का वार्षिक टर्नओवर ₹10 करोड़ या उससे अधिक है, उन्हें E-invoiceजारी करने के 30 दिनों के भीतर इसे invoice रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। पहले यह नियम केवल ₹100 करोड़ या उससे अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायों के लिए था, लेकिन अब अधिक व्यवसायों को इस सख्त समयसीमा का पालन करना होगा।
अभी तक क्या नियम थे?
वर्तमान में, व्यवसायों के लिए ई-इनवॉइस जनरेट करना जरूरी है, लेकिन इसे अपलोड करने के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं थी। इससे कई कंपनियां इनवॉइस रिपोर्टिंग में देरी करती थीं, जिससे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) में विसंगतियां और टैक्स अनुपालन में गड़बड़ियां होती थीं। अब तक, ₹100 करोड़ से कम टर्नओवर वाले व्यवसायों को 30-दिन की समयसीमा का पालन करने की जरूरत नहीं थी।
व्यवसायों पर प्रभाव
✅ सख्त अनुपालन: नया नियम रियल-टाइम इनवॉइस ट्रैकिंग सुनिश्चित करेगा, जिससे त्रुटियां और फर्जी दावे कम होंगे।
✅ ITC दावा चुनौती: यदि कोई इनवॉइस 30 दिनों के भीतर अपलोड नहीं किया जाता, तो वह इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिए अमान्य हो जाएगा, जिससे व्यवसायों की कार्यशील पूंजी (Working Capital) प्रभावित हो सकती है।
✅ जुर्माने और अस्वीकृति: IRP पर देर से अपलोड किए गए इनवॉइस स्वचालित रूप से अस्वीकृत हो जाएंगे, जिससे जुर्माना और वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं।
✅ प्रचालनिक बदलाव: व्यवसायों को अपने बिलिंग और इनवॉइसिंग प्रक्रियाओं को अपडेट करना होगा, जिसमें सॉफ्टवेयर अपग्रेड और कर्मचारी प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
RBI Monetary Policy Committee (MPC) meeting
क्या करें व्यवसाय?
विशेषज्ञों के अनुसार, ये बदलाव सुरक्षा और अनुपालन बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं, लेकिन इससे प्रक्रिया अधिक जटिल हो जाएगी। व्यवसायों को अपने सिस्टम अपडेट करने और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होगी ताकि वे इन नए नियमों के अनुरूप काम कर सकें। सरकार का लक्ष्य पुराने invoice और अनुपालन में होने वाली देरी को रोकना है। अब व्यवसायों को तेजी से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और नए नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा।