भारत की न्यायपालिका में प्रतीकात्मक बदलाव की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लिया गया है। जिसमें लेडी ऑफ जस्टिस (न्याय की मूर्ति) की मूर्ति में बदलाव किया गया है। अभी तक मूर्ति के हाथ में तलवार और आँखों पर पट्टी होती थी। अब यह पट्टी हटा दी गयी है और तलवार की जगह हाथ में संविधान की किताब है।
बताया गया है कि ये बदलाव सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर हुआ है। यह ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ की मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों की लायब्रेरी में स्थापित हुई है। न्याय की मूर्ति पर पट्टी होने का संदेश था कि न्याय अंधा होता है लेकिन अब यह बिन पट्टी के हिसाब से कानून सबको समान दृष्टि से देखता है।
एक हाथ में तराजू – पहले भी और आज भी
एक हाथ में तराजू आज भी समाज में बराबरी और कानून की निष्पक्षता को दर्शाता है।
लेकिन तलवार जोकि सजा और हिंसा को दर्शाती थी, उसकी जगह संविधान ने ली है। इसका संदेश है कि कानून संविधान के आधार पर न्याय करता है ना कि सजा देता है।
मूर्ति की विशेषताएँ
भारतीय परिधान में सजी यह सफेद रंग की मूर्ति साड़ी पहने हुए है। गले मे गहने और माथे पर बिंदी होने के साथ मूर्ति के सिर पर एक मुकुट भी है।
बदलाव के पीछे की कहानी
रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायपालिका को ब्रिटिश शासन के प्रतीकों से आजाद कराने, उस सोच से आगे बढ़ने की सोच के साथ सीजेआई ने यह निर्णय लिया है।
ताजा खबरों के अनुसार मूर्ति पिछले साल बनाई गई थी और अप्रैल 2023 में ही जजों की नई लाइब्रेरी के पास स्थापित की गयी थी। अब तस्वीरें वाइरल होने के बाद यह महत्वपूर्ण खबर बन गयी है।
लेडी ऑफ जस्टिस का कांसेप्ट
रोमन माइथोलॉजी की न्याय की देवी जस्टीशिया को ही लेडी ऑफ जस्टिस कहा जाता है।
इस विचार की शुरुआत रोमन सम्राट ऑगस्टस से हुई। ऑगस्टस न्याय को प्रमुख मानवीय गुणों में से एक मानते थे। उन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए अगले सम्राट टिबेरियस ने जस्टीशिया का मंदिर बनवाया। अब हर सम्राट जस्टीशिया के साथ खुद को जोड़ना चाहता था क्योंकि वह न्याय का प्रतीक बन चुकी थी। सम्राट वेस्पासियन ने ऐसे सिक्के बनवाये जिसमें देवी को सिंहासन पर बैठे दिखाया जिन्हें जस्टीशिया ऑगस्टा कहा जाता था। उनके बाद के कई सम्राटों ने इस छवि का उपयोग खुद को सम्राट घोषित करने के लिए किया।
दुनिया भर के कई संस्थानों में, कोर्ट में यह मूर्ति लगाई जाती है।