Congress mp विधायकों का रवैया, हओ भैया – हओ भैया
सन्दर्भ
पिछले 5 सालों में मध्यप्रदेश की राजनीति में कई भूचाल आये । उठापटकें हुईं, समीकरण बने बिगड़े। जिनमें से कई घटनाओं ने राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित किया। और कई खबरों ने वैश्विक पटल पर स्थान पाया। लेकिन एक बात जिसमें बदलाव नहीं आया या कहें इन सब घटनाओं से घाटा केवल एक पार्टी को हुआ और वो है भारतीय राष्ट्रीय Congress।
भूत
मप्र Congress के नेताओं की मेहनत से, जनता की भावनाओं से 15 सालों बाद 2018 में Congress की सरकार बनी। और फिर सरकार गिरी, तो सरकार गिराने में जनभावनाएँ तो बिल्कुल शामिल नहीं थीं लेकिन प्रदेश Congress का शीर्ष नेतृत्व इस समय अपनी रुचि अनुसार मुख्य भूमिका निभा रहा था ।सरकार गिरने के बाद या कहे कि गिरने के साथ ही कांग्रेस का बुरा दौर फिर शुरू हो गया जब उपचुनाव हुए उनमें कांग्रेस ने मुंह की खाई।
आगामी वर्षों में भाजपा सत्ताधारी पार्टी के रूप में प्रदेश में शासन करती रही विपक्ष में जो केवल एक ही पार्टी है-कांग्रेस, उसमें भी मत भिन्नता रही फिर भी हर जगह हर समाचार पत्रों तमाम विश्लेषकों के बयानों को देखा जाए तो सरकार विरोधी लहर चरम पर थी और डैमेज कंट्रोल करने के लिए अंतिम समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के चेहरे को भी पीछे कर दिया गया और इस तरह बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल किया सरकार फिर भाजपा की बनी इस बार 163 जैसे करिश्माई आंकड़े को छू लिया। विपक्ष यानि कि Congress के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष ने इस्तीफ़ा दिया, नेतृत्व परिवर्तन हुआ।
वर्तमान
हार के बाद जिस तरह नेतृत्व परिवर्तन हुआ प्रदेश के बड़े नेताओं कमलनाथ दिग्विजय सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष से किनारा करना शुरू कर दिया। इस बारप्रदेश अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने करीबी युवा को बनाया, नेता प्रतिपक्ष भी एक युवा को बनाया गया। इस तरह जातिगत समीकरण भी साधे गए लेकिन फिर भी कांग्रेसी विधायकों को कांग्रेसी नेताओं को यह समझ में नहीं आया है कि पानी सिर से ऊपर जा चुका है। अब जो भी हो, एक मत होकर जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरना पड़ेगा। तभी शायद जनता में कांग्रेस के लिए जगह खाली हो। लेकिन यहाँ तो संवादशून्यता की हद ये है कि प्रदेश में दहाई के आंकड़े में विधायक हैं उनमें भी या कहें कि उनसे भी प्रदेश आलाकमान के द्वारा संवाद स्थापित नहीं हो पा रहा है।
आज Congress विधायक दल ने मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी से प्रदेश के मुद्दों पर मुलाकात की
मुलाकात में सोयाबीन की खरीदी रु6000, किसानों को धान का 3100/- और गेहूं का मूल्य 2700/ रुपये मिलने, प्रदेश में बढ़ते महिला अपराध, एवं विधायकों को मिलने वाली विकास राशि में भेदभाव बाबत एवं… pic.twitter.com/Tk9e3TCVEE
— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 1, 2024
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मुद्दे की बात
ताजा मामला सामने आया है कि विजन डॉक्यूमेंट फंड, किसानों, फसलों, MSP एवं अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस के सभी विधायकों को नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मुलाकात करने जाना था। मुलाकात हुई भी, मुख्यमंत्री ने आश्वासन भी दिया। इस महत्वपूर्ण मुद्दे एवं मुलाकात के दौरान भी केवल आधे कांग्रेसी विधायक उपस्थित रहे। अब इस अनुपस्थिति को लेकर दो बातें सामने आई हैं।
एक तो कहा जा रहा है कि, कई विधायकों के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण वे नहीं आये, वहीं एक ओर ये भी कहा जा रहा है कि शाम को ही टी हुआ और सुबह मुलाकात की गयी इसलिए नहीं आ पाए। अब यह जनता को तय करना है कि जो विधायक क्षेत्र के लिए विकास निधि लेने में ही रुचि नहीं रखते हैं, वो विकास में कितनी रुचि रखते होंगे। वहीं दूसरी ओर अगर प्रदेश नेतृत्व ने इतने शॉर्ट नोटिस पर यह कार्यक्रम तय किया है तो कहीं न कहीं वे भी इसको केवल फॉर्मालिटी के तौर पर ही करना चाहते हों।
आपको नहीं लगता कि अगर नेतृत्व के द्वारा पूर्व नियोजित तरीके से इस मुलाकात के बारें में सोचा गया होता तो पार्टी में एकजुटता का संदेश भी जाता, साथ ही सरकार पर भी दवाब ज्यादा बनता। और जब सारे विधायक एकसाथ क्षेत्र के विकास के मुद्दे को लेकर प्रदेश के मुखिया से मिलते तो न सिर्फ मीडिया बल्कि जनता में भी विमर्श का मुद्दा होता। शायद यह रवैया किसी नेता का व्यक्तिगत नहीं है बल्कि कांग्रेस की रीति नीति बनती जा रही है।