3 जनवरी 2014 को, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री Dr Manmohan Singh ने अपने कार्यकाल की आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 100 से अधिक पत्रकारों के 62 सवालों का सामना किया।
Dr Manmohan Singh , एक ऐसा नाम जिसने अपनी सादगी और दूरदर्शी सोच से भारत को आर्थिक संकट से निकालकर प्रगति के नए रास्ते पर आगे बढ़ाया। 1991 के Economic reforms के जनक, उन्होंने देश को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई।
2004 से 2014 तक Prime Minister के रूप में, उन्होंने शांत और स्थिर नेतृत्व का उदाहरण प्रस्तुत किया। जिससे भारत ने अभूतपूर्व विकास देखा। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और कर्म से बड़े बदलाव संभव हैं। जैसा उन्होंने कहा, “सादगी में जो ताकत है, उसे कोई कभी हरा नहीं सकता।” उनकी प्रेरणा और योगदान के लिए हमारा नमन, क्योंकि उनकी विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।
3 जनवरी 2014 को, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री Dr Manmohan Singh ने अपने कार्यकाल की आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 100 से अधिक पत्रकारों के 62 सवालों का सामना किया। अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने जाने वाले Dr Manmohan Singh ने इस अवसर पर अपने कार्यकाल की उपलब्धियों और आलोचनाओं पर बेबाकी से बात की।
उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति, भारत-अमेरिका परमाणु समझौते और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसी प्रमुख उपलब्धियों को साझा किया। लेकिन उनके कार्यकाल को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, जहां उन्हें कई बार ‘मौन मोहन सिंह’ कहकर निशाना बनाया गया। जब उनके नेतृत्व पर सवाल किया गया, तो उन्होंने एक ऐतिहासिक बयान देते हुए कहा, “मुझे ईमानदारी से विश्वास है कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया की तुलना में अधिक उदार होगा।” यह बयान उनकी सादगी और आत्मविश्वास को दर्शाता है। आज भी यह सवाल विचारणीय है कि क्या इतिहास ने उनके योगदान को सही रूप में पहचाना है।
Manmohan Singh : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन
Dr Manmohan Singh का जीवन परिचय
डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था। उनकी जन्मभूमि अविभाजित भारत के पंजाब के गाह(वर्तमान में पाकिस्तान) थी।