कलेक्टर से अनुमोदित इस आदेश में शिक्षकों की Attendance, Geo Tag के माध्यम से लेने की बात कही गयी है। जिसके अव्यवहारिक पक्ष, Privacy एवं Technical दिक्कतों को लेकर शिक्षकों ने इसका विरोध किया है।
Vidisha में जिला शिक्षा केंद्र कार्यालय से Teachers की अटेंडेंस को लेकर एक आदेश जारी हुआ है। आदेश पर कलेक्टर के अनुमोदन के साथ CEO जिला पंचायत विदिशा के हस्ताक्षर हैं।
जारी पत्र में में छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति Geo Tag फोटो एवं लाइव वीडियो के माध्यम से लेने को लेकर आदेश दिए गए हैं।
क्यों पड़ी Geo Tag से अटेंडेंस की जरूरत ?
दरअसल, आदेश में लिखा है कि शिक्षा विभाग के मैदानी अमले द्वारा शिक्षकों के School में लेट उपस्थिति को लेकर लगातार कार्यवाहियाँ की गई हैं। लेकिन फिर भी शिक्षकों की अनाधिकृत उपस्थिति जारी रही। शाला के समय में नियत समय पर उपस्थिति को लेकर शिक्षकों की आदतों में सुधार नहीं आया है। जिसको लेकर प्रशासन द्वारा यह व्यवस्था लागू की गई है।
आदेश को लागू कराने के लिए जनशिक्षक एवं BRC को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अनुपस्थित शिक्षकों की सैलरी माह की 25 तारीख को काटी जायेगी।
अतिथि शिक्षकों ने जताया विरोध
अतिथि शिक्षकों ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा। Guest Teachers का कहना है कि आदेश Permanent शिक्षकों के लिए है। फिर भी उनसे Geo Tag पर फोटो अपलोड करने का दवाब बनाया जा रहा है। स्कूल का ताला खोलने से लेकर लगाने तक का काम करते हैं। जबकि अतिथि शिक्षकों को कोई सुविधा नहीं मिलती है।
Teachers क्यों कर रहे हैं विरोध
शिक्षकों के द्वारा इस आदेश का अंदरखाने विरोध हो रहा है। Teachers के द्वारा इस व्यवस्था में तकनीकी साक्षरता एवं अन्य व्यवहारिक दिक्कतों को लेकर विरोध है।
महिला शिक्षकों ने बताया निजता को खतरा
एक महिला शिक्षक ने fenkmat से नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इससे उन्हें परेशानी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि आज भी कई शिक्षक Digital साक्षर नहीं हैं। Geo Tag की व्यवस्था से उनकी निजता को खतरा हो सकता है। उनके द्वारा रोजाना भेजे गए फोटो का गलत इस्तेमाल हो सकता है। जो उन्हें खतरे में डाल सकता है। जिस तरह आज छोटी सी गलतियों से डिजिटल फ्रॉड, Digital Arrest जैसी घटनाएं हो रही हैं, इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
Teachers गिरा चुके हैं सरकार
यह पहला मामला नहीं है जब शिक्षकों ने प्रशासन के आदेशों का विरोध किया हो। इससे पहले भी शिक्षकों के विरोध ने प्रदेश की सरकार बदल दी थी।
वह शिक्षक ही थे जिन्होंने दिग्विजय सिंह को तीसरी बार CM बनने से रोक दिया था।
ध्यान देने योग्य तथ्य
1.नवाचार के नाम पर इस आदेश के तकनीकी पहलू पर गौर किया जाए। यह app निजी स्वामित्व की Company का है।
शासन के अधीन नहीं है। क्या शिक्षा विभाग के एप पर यह व्यवस्था नहीं की जा सकती?
2.रोजाना ग्रुप में फोटो भेजा जाना, किसी भी महिला को असहज कर सकता। इसके लिए आधार वो प्रमाणित खबरें हैं, जिनमें कई बार छात्राओं और महिला शिक्षकों को ऐसे ही फोटो का दुरूपयोग करके प्रताड़ित किया जाता है। कई बार ऐसे मामलों के परिणाम गंभीर हो जाते हैं।
3.जिस तरह कंपनियां location के नाम पर users का data गलत तरह से अपने product बेचने के लिए करती हैं। इनसे न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा। बल्कि डिजिटल अरेस्ट एवं अन्य fraud की संभावना भी बढ़ जाती है। क्योंकि आजकल WhatsApp हैक होने जैसी घटनाएं रोजाना सामने आ रही हैं। ऐसी परिस्थिति में यह न सिर्फ शिक्षकों, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की गुप्त जानकारियों पर भी हमला हो सकता है।
4.व्यवहारिक पक्ष – आज भी कई शिक्षक पूर्ण रूप से Digitally literate नहीं हैं। Geo tag के इस्तेमाल के लिए जरूरी सावधानी बरती जाने चाहिए। Geo Tag का उपयोग करने के तुरंत बाद सुरक्षा की दृष्टि से location off करना आवश्यक होता है, जिससे कि कोई user को track & trace न कर सके। लेकिन साक्षरता की छोटी सी कमी के कारण, बड़ी घटना घटित हो सकती है। क्या प्रशासन उस घटना की जिम्मेदारी लेगा?
गुणवत्ता एवं व्यवस्था सुधार के नाम पर नवाचार का शिगूफा छोड़ा गया। क्या स्कूल प्रभारी की जिम्मेदारी नहीं है कि सभी शिक्षक नियमित समय पर विद्यालय पहुँचे। क्या नियमित हाजिरी न होने पर प्रशासन के पास पहले से तय व्यवस्था कारगर नहीं है?
तो फिर DEO से लेकर BRC एवं अन्य शिक्षा विभाग के पद किसलिए हैं?