RBI ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। ब्याज दरें 6.5 % हैं। मौजदा लोन में भी बदलाव नहीं आएगा। EMI भी नहीं बढ़ेगी। RBI ने 11वीं बार दरें नहीं बदली हैं। महंगाई बढ़ने की आशंका।
Reserve Bank of India के Governor Shaktikanta Das के द्वारा शुक्रवार को Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक हुई। यह मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने महंगाई बढ़ने का अनुमान जताया है, इसके कारण Economic Growth पर Negative असर पड़ने की भी सम्भावना है। अगले Financial Year में GDP ग्रोथ कम होगी। इसका अनुमान 7.2% से घटकर 6.6% कर दिया गया है।
Post Monetary Policy Press Conference by Shri Shaktikanta Das, RBI Governor- December 06, 2024 at 12 noon https://t.co/mmkOkWDiCX
— ReserveBankOfIndia (@RBI) December 6, 2024
RBI की Monetary Policy Committee meeting में हमे क्या मिला
Loan : RBI की ब्याज दरों में कोई चेंज नहीं है। यह 65% है। मतलब लोन महंगे नहीं होने वाले और वर्तमान लोन की EMI भी वही रहेगी।
आखिरी बार 2023 में ब्याज दरों में RBI ने 0.25 % की बढ़ोत्तरी की थी।
खेती-किसानी
Collateral free Agricultural Loan ( बिना सामान गिरवी रखे कर्ज देने की सीमा)1.6 लाख रूपये प्रति उधारकर्ता से बढ़ा दिया गया है। अब इसको बढ़ाकर 2 लाख प्रति उधारकर्ता करने का निर्णय लिया गया है। यह बदलाव Agricultural Input Cost Overall Inflation में वृद्धि को ध्यान में रखकर हुआ है। 2019 में आखिरी बार इसमें बदलाव हुआ था।
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UPI Customers के लिए
अब UPI पर Account में पैसा न होने पर (Credit Line )पर भी Payment की facility देने की परमिशन Small Banks को भी दे दी गई है। September 2023 में इसकी शुरुआत हुई। तब यह सुविधा SBI, HDFC, ICICI जैसे बड़े बैंकों में available कराई गयी थी।
RBI के अनुसार इस फैसले से वित्तीय लेनदेन की फेसिलिटी का USE ज्यादा लोग कर पाएंगे।
बैंकों पर क्या असर
कमिटी ने बैंको के लिए Mandatory Cash Reserve Ratio को 4.50% से घटाकर 4 % कर दिया है। अब बैंको के पास ज्यादा कैश होगा। जिसके कारण उन्हें लोन बॉटने के लिए एक्स्ट्रा नकदी होगी।
Economic Growth
RBI गवर्नर के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था बेहतर रहने की उम्मीद है। साथ में उन्होंने कुछ चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि ये निगेटिव असर छोड़ सकती हैं। ये चुनौतियाँ Geo v Politics और महंगाई के ताजा आंकड़े। साथ ही दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट का कम हो जाना चिंता की मुख्य वजह है।